
नागपुर: पुणे जिले के मावल तालुका में वनीकरण के लिए आरक्षित क्षेत्र में हुए बड़े उत्खनन घोटाले का पर्दाफाश हो गया है। करीब 90 हजार ब्रास गौण खनिज के अवैध उत्खनन के मामले में महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने कड़ा रुख अपनाते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
इस मामले में चार तहसीलदार, चार मंडल अधिकारी और दो तलाठी — कुल दस अधिकारियों को निलंबित किया गया है।
ईटीएस मापणी में खुलासा:
जांच में पाया गया कि 3 लाख 63 हजार ब्रास की अनुमति के बावजूद 4 लाख 54 हजार ब्रास उत्खनन कर लिया गया। यानी परवानगी से 90 हजार ब्रास अधिक खनन हुआ है।
इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर अब फौजदारी मामला दर्ज करने, दंड लगाने, सातबारा पर नोंद घेरे जाने, और दंड न भरने पर व्याज सहित वसुली करने के आदेश जारी किए गए हैं।
मामला विधानसभा में उठा:
मावल के विधायक सुनील शेळके ने आज विधानसभा में यह मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि अतिरिक्त जिलाधिकारी ने गलत माहिती दी और आठ महीनों तक अधिकारी जानबूझकर कार्रवाई टालते रहे, जिससे अवैध उत्खनन करने वालों को संरक्षण मिला।
जांच में क्या निकला?
महसूल मंत्री ने बताया:
•गट नंबर 36, 37 और 38 में खाणपट्टे मंजूर थे,
•लेकिन 35, 41, 42 और 46 नंबर की जमीन पर भी अनधिकृत उत्खनन किया गया।
•विभागीय आयुक्त ने दो बार जांच की और गंभीर अनियमितताएँ सामने आईं।
निलंबित अधिकारियों के नाम:
* तलाठी: दीपाली सनगर, गजानन सोटपल्लीवार
* मंडल अधिकारी: संदीप बोरकर, माणिक साबळे, अजय सोनवणे, रमेश कदम
* तहसीलदार: जोगेंद्र कटियार, मनजीत देसाई, मधुसूदन बारगे, विक्रम देशमुख
इन सभी पर “कर्तव्य में गंभीर लापरवाही” का आरोप तय हुआ है।
वनीकरण का विवाद:
विधायक शेळके ने दावा किया कि उत्खनन वनीकरण के लिए आरक्षित भूमि पर हुआ है।
इस पर मंत्री बावनकुळे ने कहा कि उपलब्ध दस्तावेज़ों के अनुसार जमीन खासगी (private) है।
गूगल इमेज में सिर्फ 15 पेड़ दिखाई दे रहे थे, जिन्हें काटने के लिए अनुमति ली गई थी।
वन विभाग ने भी लिखित रूप से इसे फॉरेस्ट ज़ोन नहीं बताया है।
हालाँकि पीएमआरडीए के प्रस्तावित विकास आराखड़े में इसे खासगी वनीकरण के लिए आरक्षित दर्शाया गया है।
मंत्री ने कहा कि यदि और जानकारी मिलती है तो अलग बैठक लेकर समीक्षा की जाएगी।
राज्यव्यापी ETS Survey शुरू:
बावनकुळे ने बताया कि पूरे राज्य में ETS सर्वे शुरू किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि कहाँ कितनी अनुमति दी गई और कहाँ अवैध उत्खनन हुआ। इसके आधार पर आगे सख्त कार्रवाई की जाएगी।
