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पीएम मोदी ने कहा- 20 सितंबर भारत के समुद्री क्षेत्र और आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण, गुजरात को देंगे बड़ी सौगात

Sep 20, 2025

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात पहुंचने से पहले कहा कि 20 सितंबर भारत के समुद्री क्षेत्र और आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारे प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को गुजरात के भावनगर में आयोजित ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “20 सितंबर, भारत के समुद्री क्षेत्र और आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारे प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में भाग लूंगा। 34,200 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों का उद्घाटन या शिलान्यास किया जाएगा। इनसे पूरे भारत के लोगों को लाभ होगा। शिपिंग क्षेत्र से संबंधित प्रमुख नीतियों पर भी हमारा ध्यान केंद्रित रहेगा।” समुद्री क्षेत्र को एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को 7,870 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली समुद्री क्षेत्र से संबंधित अनेक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। वे इंदिरा डॉक पर मुंबई अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी कोलकाता में एक नए कंटेनर टर्मिनल, पारादीप बंदरगाह पर नए कंटेनर बर्थ, टूना टेकरा मल्टी-कार्गो टर्मिनल, चेन्नई बंदरगाह पर समुद्री दीवारों और रिवेटमेंट समेत तटीय सुरक्षा कार्य, कार निकोबार द्वीप पर समुद्री दीवार निर्माण, कांडला में एक बहुउद्देश्यीय कार्गो बर्थ और पटना और वाराणसी में जहाज मरम्मत सुविधाओं की आधारशिला रखेंगे। प्रधानमंत्री गुजरात के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी केंद्र और राज्य सरकार की 26,354 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी भावनगर में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। वे धोलेरा का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। धोलेरा गांव की परिकल्पना एक हरित औद्योगिक शहर के रूप में की गई है जो दीर्घकालिक औद्योगीकरण, स्मार्ट बुनियादी ढांचे और वैश्विक निवेश पर आधारित है। इसके बाद पीएम मोदी दोपहर लगभग 1:30 बजे एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे। फिर वे लोथल में लगभग 4,500 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किए जा रहे राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएचएमसी) का दौरा और उसकी प्रगति की समीक्षा भी करेंगे। यह परिसर भारत की प्राचीन समुद्री परंपराओं का उत्सव मनाने और उन्हें संरक्षित करने व पर्यटन, अनुसंधान, शिक्षा और कौशल विकास के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।