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लखनऊ: सीएम योगी ने बच्चों से की मुलाकात, पुस्तकों के महत्व पर दिया जोर

Sep 20, 2025

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित चौथे गोमती बुक फेस्टिवल का भव्य उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नन्हे-मुन्ने बच्चों से आत्मीय संवाद किया और उन्हें पुस्तकों से परिचित कराने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने स्कूली छात्राओं और आंगनबाड़ी दीदीयों को पुस्तकें भेंट की। उन्होंने कहा कि अच्छी पुस्तकें योग्य मार्गदर्शक बनकर सदैव हमारे जीवन का पथप्रदर्शक बनती हैं और जीवन को आगे बढ़ाती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले नौ दिन तक लखनऊ विश्वविद्यालय में पुस्तक मेला चलेगा, जहां आने वाले पाठक ज्ञान और साहित्य के महाकुम्भ का अनुभव कर सकेंगे। उन्होंने बच्चों और युवाओं से स्मार्टफोन पर समय कम बिताकर कम से कम एक घंटा रचनात्मक और ज्ञानवर्धक पुस्तकों को पढ़ने की अपील की। मुख्यमंत्री ने भारतीय मनीषियों और ऋषियों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे यहां याज्ञवल्क्य जैसे ऋषियों ने समाज को ज्ञान का मार्ग दिखाया। उन्होंने याज्ञवल्क्य ऋषि और उनकी पत्नियों कात्यायिनी व मैत्रेयी का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि ज्ञान की खोज जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने नेशनल बुक ट्रस्ट की सराहना करते हुए कहा कि इसने लगातार गोमती बुक फेस्टिवल की परंपरा को आगे बढ़ाया है। इस वर्ष के फेस्टिवल में ढाई सौ से अधिक स्टॉल हैं, जिनमें बाल रचनाकारों से लेकर प्रख्यात लेखकों की पुस्तकें विभिन्न भाषाओं में प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री ने बच्चों को ‘एग्जाम वारियर्स’ पुस्तक भेंट की, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा लिखा गया है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे इस पुस्तक के सभी बिंदुओं का अध्ययन करें तो किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करना आसान हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए तक्षशिला विश्वविद्यालय, पाणिनी, सुश्रुत और ब्रह्मवेत्ताओं की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि तक्षशिला का नाम भगवान राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर रखा गया था। उन्होंने कहा कि पढ़ना और आगे बढ़ना भारत की परंपरा रही है और प्रधानमंत्री के विचार ‘वेन सिटिजन रीड्स, कंट्री लीड्स’ इसी संदेश का हिस्सा हैं। मुख्यमंत्री ने महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास जी की मौलिक रचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलिक रचनाएं न केवल अमर होती हैं, बल्कि रचयिता को भी अमर बना देती हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अच्छी पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करें। उन्होंने स्वस्थ नारी, सशक्त समाज के संदेश को भी दोहराया और कहा कि यदि महिलाएं स्वस्थ होंगी तो समाज और राष्ट्र सशक्त होंगे। उन्होंने लखनऊ के सभी स्कूलों के बच्चों से अपील की कि वे इस बुक फेस्टिवल में आएं और हर छात्र कम से कम एक पुस्तक जरूर खरीदें।