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जैसलमेर: विजयादशमी पर बीएसएफ ने किया शस्त्र पूजन, जवान बोले-सीमा में सेंध लगाना असंभव

Oct 2, 2025

जैसलमेर, भारत-पाक सीमा पर जैसलमेर में विजयादशमी पर बीएसएफ की तोपखाना रेजिमेंट ने विधि-विधान से शस्त्र पूजन किया। साथ ही दुश्मन को कड़ा संदेश दिया कि सुरक्षा बल देश की सीमा पर हर चुनौती से मुकाबला करने के लिए तैयार है। इस दौरान जवानों ने मां दुर्गा और उनकी योगिनी जया-विजया का स्मरण कर हथियारों पर पुष्प अर्पित किए। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो सेना और सुरक्षा बलों के लिए विशेष महत्व रखती है। जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाके में सुबह से ही बीएसएफ का परिसर देशभक्ति के नारों से गूंज उठा। जवानों ने पारंपरिक वेशभूषा में मां दुर्गा की पूजा की, क्योंकि मान्यता है कि युद्ध में विजय के लिए उनका आशीर्वाद जरूरी है। इसके बाद छोटे हथियारों से लेकर तोपों तक सभी शस्त्रों को गंगाजल से शुद्ध किया गया। हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाकर और पुष्प अर्पित कर हथियारों को सलामी दी गई। मंत्रोच्चार और आरती के बीच जवानों ने “भारत माता की जय” और “बीएसएफ जिंदाबाद” के नारे लगाए, जिससे माहौल उत्साहपूर्ण हो गया। यह आयोजन सिर्फ शस्त्र पूजन तक सीमित नहीं था। बीएसएफ की यह रेजिमेंट हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के कारण चर्चा में रही, जिसने पाकिस्तान की घुसपैठ और नापाक हरकतों को नाकाम किया। बीएसएफ ने भारतीय सेना के साथ तालमेल बनाकर दुश्मन की कई चौकियों को ध्वस्त किया। इस ऑपरेशन में जवान रात-दिन बिना आराम के मोर्चे पर डटे रहे, जिससे भारत की संप्रभुता की रक्षा हुई। जैसलमेर का रेगिस्तानी इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और बीएसएफ की चौकसी ने दुश्मन को साफ संदेश दिया कि सीमा में सेंध लगाना असंभव है। बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि तोपखाना रेजिमेंट आधुनिक हथियारों, ड्रोन, नाइट विजन कैमरों और रडार सिस्टम से लैस है। यह सिर्फ सीमा प्रहरी नहीं, बल्कि युद्ध की अग्रिम पंक्ति का योद्धा है। विजयादशमी का यह शस्त्र पूजन और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता यह साबित करती है कि बीएसएफ हर स्थिति में सक्षम है। जवानों ने संकल्प लिया कि वे मातृभूमि की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। स्थानीय लोगों ने बीएसएफ की इस ताकत और समर्पण की सराहना की। यह आयोजन न केवल परंपरा को जीवंत करता है, बल्कि देशवासियों को भरोसा दिलाता है कि सीमाएं सुरक्षित हैं।