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काशी में उमड़ी आस्था की भीड़, गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालु

Oct 7, 2025

वाराणसी, धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर मंगलवार को गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई गई। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि है। इस बार पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को शाम 8:49 बजे शुरू हुई और 7 अक्टूबर 2025 को सुबह 9:18 बजे तक रही। मंगलवार तड़के भक्तों ने मां गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जन किया और बाबा श्री काशी विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा और संकट मोचन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालु इस पवित्र दिन पर मां लक्ष्मी और कुबेर की विशेष पूजा में शामिल हुए। शरद पूर्णिमा को शारदीय नवरात्रि का समापन और कार्तिक मास की शुरुआत से पहले का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है, जिससे सुख-समृद्धि की कामना पूरी होती है। हालांकि इस बार गंगा में जलस्तर बढ़ने के कारण भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में कम रही। श्रद्धालु प्रेम कुमार ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “मैंने गंगा में स्नान किया और अब बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए जा रहा हूं। यहां आकर मुझे जो आनंद मिला, उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता।” अर्चना शर्मा ने कहा, “मैं प्रार्थना करती हूं कि भगवान सबका भला करें, विश्व में शांति हो और आतंक, बाढ़, प्रलय जैसी आपदाएं खत्म हों। गंगा स्नान और दर्शन के बाद मुझे बहुत शांति मिली है। यहां आकर सारे दुख भूल गए हैं।” गजानंद पांडे ने बताया, “शरद पूर्णिमा का स्नान और दान परिवार में सुख-समृद्धि लाता है। गंगा स्नान के बाद हम बाबा विश्वनाथ के दर्शन करते हैं। इस बार जलस्तर बढ़ने से भीड़ कम है वरना हर साल घाटों पर भारी भीड़ होती थी।” संजीव ने कहा, “काशी पावन नगरी है। यहां आकर दैवीय आनंद की अनुभूति होती है। कल शाम से यहां हूं और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।” पुलिस और प्रशासन ने घाटों और मंदिरों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सफाई और अन्य व्यवस्थाएं भी की गईं। स्थानीय लोग और पुजारी इस पर्व को काशी की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा मानते हैं। काशी में इस अवसर पर आध्यात्मिक माहौल और भक्ति की लहर देखनेी लहर देखने को मिली।