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भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से भारतीय उत्पादों को मिलेगी वैश्विक पहचान, कृषि निर्यात से किसानों को होगा बड़ा फायदा

Dec 23, 2025

नई दिल्ली: हाल ही में भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) ने भारतीय निर्यातकों के लिए एक नया अवसर खोला है। इस समझौते से भारत के टेक्सटाइल, मरीन प्रोडक्ट्स, इंजीनियरिंग और एमएसएमई सेक्टर को बड़ी राहत मिल सकती है। न्यूजीलैंड में टैरिफ कम होने से भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी और भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका मिलेगा। साथ ही, इन क्षेत्रों में रोजगार भी बढ़ेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। यह बात मंगलवार को आयकर विभाग की पूर्व मुख्य आयुक्त डॉ. शिखा दरबारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कही। डॉ. शिखा दरबारी ने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच 20 अरब डॉलर के दीर्घकालिक व्यापार समझौते का उद्देश्य अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण और निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है। उन्होंने कहा कि भारत अब तक एफटीए समझौतों के प्रति सतर्क था, लेकिन अब वह विकसित देशों के साथ संतुलित और सुरक्षित व्यापार समझौते कर रहा है। इससे भारत सरकार की बदली हुई व्यापार कूटनीति स्पष्ट हो रही है, जिसमें निवेशकों के हित को प्रमुखता दी जा रही है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक व्यापार में अग्रणी बनाना है, और इसके लिए रणनीतिक समझौतों को प्राथमिकता दी जा रही है। दरबारी ने बताया कि यह कदम निश्चित रूप से भारत को वैश्विक व्यापार में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोदी सरकार के ‘विकसित भारत 2047’ के विजन के तहत नए बाजारों को खोलने और विदेशी व्यापार समझौतों को लागू करने से भारत का व्यापार बढ़ेगा, जो उसे वैश्विक ट्रेड लीडर बनने में मदद करेगा। इससे न केवल भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह देश को विश्व में एक प्रभावी व्यापारिक शक्ति के रूप में स्थापित करेगा। उन्होंने आगे कहा, “इस एफटीए के तहत जीआई टैग वाले भारतीय उत्पादों और वैल्यू-एडेड कृषि निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारतीय किसानों को अपने उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसके अलावा, भारत सरकार किसानों को स्वदेशी पेटेंट और जीआई टैग प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिससे वे वैश्विक बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने के लिए तैयार हो सकेंगे।” भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर तक नेट एफडीआई दोगुना होकर 6.2 अरब डॉलर हो गया है। यह प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सुधार नीतियों और निवेश-उन्मुख दृष्टिकोण की बड़ी सफलता है। मोदी सरकार ने आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यापार को आसान बनाने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं, जो भारत को विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवाओं, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली और संचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से अधिक एफडीआई निवेश आ रहा है। यह ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्रित मोदी सरकार की नीतियों का नतीजा है, जिनके चलते भारत में निवेश बढ़ा है और भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजारों में अधिक स्थान और पहचान मिल रही है।