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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 24 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

May 24, 2025

बीजापुर, छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान के तहत पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। जिले में सक्रिय 87.50 लाख रुपए के इनामी 20 माओवादियों समेत कुल 24 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण की यह घटना जिले में शांति और विकास की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए कंपनी नंबर-2 के डिप्टी कमांडर, माड़ डिवीजन कंपनी नंबर-7 के पीपीसीएम, एसीएम/पीपीसीएम, एलओएस कमांडर, सीएनएम अध्यक्ष, केएमएस अध्यक्ष, केकेबीएन डिवीजन पार्टी सदस्य जैसे शीर्ष पदों पर रहे माओवादी शामिल हैं। ये सभी लंबे समय से बीजापुर, सुकमा और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय थे। पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि इन माओवादियों ने शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया है। शासन द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्य, जैसे सड़कों का निर्माण, बिजली-पानी की उपलब्धता और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच ने माओवादियों को संगठन छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, संगठन के भीतर बढ़ते मतभेद और नेताओं द्वारा किए जा रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार ने भी इन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया। आत्मसमर्पण कार्यक्रम में केंद्रीय रिजर्व पुलिस (केरिपु) के उप पुलिस महानिरीक्षक राकेश कुमार, बीजापुर एसपी डॉ. जितेन्द्र कुमार यादव, कोबरा और केरिपु बटालियन के कमांडेंट्स, एएसपी ऑपरेशन, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), बस्तर फाइटर, एसटीएफ के अधिकारी मौजूद रहे। इस अभियान में विशेष योगदान डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, केरिपु और कोबरा बटालियन का रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई है। इसके अलावा, उन्हें पुनर्वास, रोजगार और शिक्षा की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। बीजापुर जिले में 1 जनवरी 2025 से अब तक 227 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 237 माओवादी गिरफ्तार किए गए और 119 माओवादी मारे गए हैं। इससे साफ है कि शासन की नीति और सुरक्षा बलों की रणनीति नक्सलवाद के खिलाफ प्रभावी साबित हो रही है। एसपी डॉ. जितेन्द्र कुमार यादव ने अन्य माओवादियों से भी अपील की कि वे शासन की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं और समाज की मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन जीएं। उन्होंने कहा कि बाहरी विचारधाराओं से प्रभावित होकर हिंसा का मार्ग अपनाने वालों को अब समाज में लौटकर नए सिरे से जीवन शुरू करना चाहिए।