
छत्रपती संभाजीनगर, महाराष्ट्र
शासन के नियमों को ताक पर रखकर बांधकाम (निर्माण) से पहले ही ठेकेदार को 1.47 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया! यह चौंकाने वाला मामला छत्रपती संभाजीनगर ज़िले के लासूर के शाला निर्माण और गुरुधानोरा के प्राथमिक आरोग्य केंद्र से जुड़ा है। यह गंभीर प्रश्न विधान परिषद में विधायक सतीश चव्हाण ने उठाया, और इसके बाद विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे, ऐड. अनिल परब, और भाई जगताप ने भी इस भ्रष्टाचार पर तीखी प्रतिक्रिया दी। ग्रामविकास मंत्री जयकुमार गोरे ने इस पर सख्त कार्रवाई करते हुए बताया कि,
• जिला परिषद बांधकाम विभाग के कार्यकारी अभियंता और शाखा अभियंता को तत्काल निलंबित किया गया है।
• दो माह में खातेनिहाय चौकशी पूरी की जाएगी।
• दोषियों पर गुन्हा दाखिल किया जाएगा और अपहृत रक़म की वसूली भी की जाएगी।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि—
न तो निर्माण कार्य शुरू हुआ, न टेस्ट रिपोर्ट मिलीं, न फोटोज, और फिर भी देयक मंजूर हो गए ।
मोजमाप पुस्तिकाओं में फर्जीवाड़ा कर के ज़्यादा काम दिखाया गया और ठेकेदार को पैसे जारी कर दिए गए ।
• मुक्ताईनगर में भी गड़बड़ी
नेता एकनाथ खडसे ने मुक्ताईनगर के वढोदा गांव में 15वें वित्त आयोग और दलित वस्ती सुधार योजना के तहत 2020-2023 में हुए कामों में भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया ।
ग्राम विकास मंत्री ने स्वीकार किया कि वहां ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित किया गया है। प्रशासकीय व शिस्तभंग की कार्रवाई प्रस्तावित है।
• सवाल उठता है –
क्या छत्रपती संभाजीनगर और मुक्ताईनगर अकेले मामले हैं?
पूरे महाराष्ट्र में कितने ऐसे काम हुए हैं जहां काम शुरू होने से पहले ही ठेकेदार को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया?
क्या जनता के पैसों का इस तरह से दुरुपयोग बर्दाश्त किया जाना चाहिए?
अब समय आ गया है कि महाराष्ट्र के ग्राम विकास विभाग और ठेकेदारी व्यवस्था की एक व्यापक जांच हो ।