
किसानों ने बैंक से लिया लोन, SLEC से मिली मंजूरी, लेकिन केंद्र की CLEC कमेटी पर अटकी उम्मीदें
पुणे: महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से आए किसान सोमवार को पुणे के औंध स्थित महाराष्ट्र पशुसंवर्धन विभाग के बाहर प्रदर्शन पर बैठ गए। किसान आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) योजना के तहत महीनों तक दस्तावेज़ और बैंकिंग प्रक्रिया पूरी की, लेकिन जब अंतिम मंजूरी की बारी आई, तब केंद्र ने अचानक इस योजना को बंद कर दिया।
किसानों की लंबी प्रक्रिया
किसानों ने बताया कि योजना के लिए उन्होंने आवेदन किया था। इसके बाद:
• जिला स्तरीय समिति से मंजूरी मिली,
• बैंकों से लोन स्वीकृत हुआ,
• राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (SLEC) से भी मंजूरी मिल गई।
अब सिर्फ आखिरी चरण बचा था—केंद्रीय समिति CLEC की मंजूरी। लेकिन इसी बीच योजना बंद कर दी गई।
किसानों का गुस्सा
धरना दे रहे किसानों का कहना है कि यह उनके साथ धोखा है। “हमने बैंक से लोन ले लिया, गारंटी पेपर दिए, सारे दस्तावेज़ पूरे किए। राज्य से मंजूरी भी मिल गई। अब दिल्ली की CLEC से मंजूरी मिलनी थी। लेकिन अचानक योजना बंद कर दी गई। हमारी मेहनत और खर्च सब बेकार हो गया,” एक किसान ने कहा।
विशेषज्ञों की राय
कृषि मामलों के जानकारों का कहना है कि किसी भी योजना को बीच में रोकना किसानों के लिए अन्यायपूर्ण है।
“अगर योजना बंद करनी ही थी तो पहले से स्वीकृत किसानों को बाहर नहीं किया जाना चाहिए था। इससे किसानों का भरोसा सरकार और बैंकिंग सिस्टम दोनों पर से उठ सकता है,” एक कृषि विशेषज्ञ ने बताया।
आर्थिक संकट और आंदोलन की चेतावनी
किसानों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि बैंक से लिया गया कर्ज़ अब उन पर भारी पड़ रहा है। सब्सिडी और लाभ बंद हो जाने से किसान आर्थिक संकट में फँस सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने CLEC से मांग की है कि पहले से स्वीकृत सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी जाए।
प्रदर्शनकारी किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।
बड़ा सवाल
अब सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार CLEC स्तर पर पहले से स्वीकृत किसानों को राहत देगी या फिर किसानों को कर्ज़ और अनिश्चितता के बीच छोड़ दिया जाएगा।