
नई दिल्ली, श्रीलंका में चक्रवात दितवाह ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा में 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जबकि लाखों लोग बेघर हो गए हैं। पड़ोसी देश पर आई इस संकट की घड़ी में भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है। भारत लगातार श्रीलंका में राहत व मानवीय सहायता पहुंचा रहा है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि एक भारतीय वायुसेना सी-17 परिवहन विमान मॉड्यूलर फील्ड अस्पताल, 70 से ज्यादा चिकित्सा एवं सहायता कर्मियों और वाहनों के साथ कोलंबो में उतरा। भारत बाढ़ राहत कार्यों में सहायता जारी रखे हुए है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि श्रीलंका के जा-एला स्थित इंडिविटिया के भीषण बाढ़ग्रस्त इलाके में आरोग्य मैत्री भीष्म क्यूब एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा बन गया। चिकित्सा सेवा, वायुसेना अस्पताल कटुनायके और भारतीय चिकित्सा दल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, एक खुले सामुदायिक स्थल को बहु-ओपीडी देखभाल, प्रयोगशाला, एक्स-रे और माइनर ओटी के साथ एक कार्यशील चिकित्सा केंद्र में परिवर्तित किया गया। इस दौरान 300 से अधिक रोगियों को समय पर चिकित्सा सहायता मिली, जिसमें आघात संबंधी मामूली चोटों से लेकर आवश्यक ओपीडी परामर्शों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी। इस हस्तक्षेप ने ऐसे समय में स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बहाल की जब नियमित सेवाएं बाधित थीं। यह भारत की मानवीय प्रतिबद्धता का एक सशक्त प्रदर्शन है, जो जरूरत के समय में श्रीलंका के साथ खड़ा है। बता दें कि श्रीलंका में आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए भारतीय सेना का एक विशेष दल श्रीलंका पहुंचा है। भारतीय थलसेना द्वारा भेजा गया यह विशेष दल मुख्यत: चिकित्सा, इंजीनियरिंग, और सिग्नल्स से संबंधित विशेषज्ञ इकाइयों से मिलकर बना है। इनका उद्देश्य श्रीलंका के आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत और पुनर्वास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाना है। भारतीय सेना यहां पीड़ितों को जीवन रक्षक चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही है। सेना की मदद से श्रीलंका में क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और बुनियादी ढांचे की मरम्मत की जाएगी। साथ ही, बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए संचार सिस्टम को भी भारतीय सेना की सिग्नल्स यूनिट दुरुस्त करने में सहायता करेगी। भारत ने अपने पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र देश श्रीलंका की सहायता के लिए ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ के तहत भारतीय सेना का यह विशेष दल श्रीलंका भेजा है। यह त्वरित और समन्वित मानवीय राहत अभियान भारत-श्रीलंका के बीच गहरे संबंधों को दर्शाता है। साथ ही, यह भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का सशक्त प्रमाण भी है।
