
नई दिल्ली, 4 मई
आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम 2025 में विदेश मंत्री ने बदलती विश्व व्यवस्था में भारत की स्थिति और सोच के बारे में बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत भागीदारी की तलाश में रहता है और यूरोप की ओर इसी सोच के साथ देख रहा है। आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम 2025 में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “हम अब उस आकार और अवस्था में पहुंच गए हैं, जहां दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली लगभग हर महत्वपूर्ण घटना हमारे लिए मायने रखती है।
अमेरिका आज पहले से कहीं अधिक आत्मनिर्भर है। यूरोप आज बदलाव के लिए दबाव में है। बहुध्रुवीयता की वास्तविकताएं उसे समझ में आ रही हैं। चीनी वही कर रहे हैं जो वे पहले कर रहे थे। हम प्रतिस्पर्धा का ऐसा क्षेत्र देखने जा रहे हैं जिसे याद करना आसान नहीं होगा। हम एक बहुत अधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया, बहुत अधिक तीव्र प्रतिस्पर्धा देख रहे हैं। ” जयशंकर ने भारत के बढ़ते रसूख की ओर इशारा करते हुए कहा, “जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हम भागीदारों की तलाश करते हैं, हम उपदेशकों की तलाश नहीं करते। खास तौर पर, ऐसे उपदेशक जो विदेश में जो उपदेश देते हैं, उसे अपने देश में नहीं अपनाते।” अगर हमें साझेदारी विकसित करनी है, तो कुछ समझ, संवेदनशीलता, आपस के हित और दुनिया कैसे काम करती है, इसका एहसास करना होगा।”